बन्ध्य दम्पतियों को संतान प्राप्ति हेतु सहायता देने के लिए निम्न विधियाँ हैं –
1. परखनली शिशु (Test Tube Baby) – इसके अन्तर्गत शुक्राणु व अण्डाणुओं को इन विट्रो निषेचन कराया जाता है। तत्पश्चात् भ्रूण को सामान्य स्त्री के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। स्त्री के गर्भ में गर्भकाल की अवधि पूर्ण होने पर सामान्य रूप से शिशु का जन्म होता है।
2. युग्मक अन्तः फैलोपियन स्थानान्तरण (Gamete Intra- Fallopian Transfer) – इस विधि का प्रयोग उन महिलाओं पर किया जाता है, जो लम्बे समय से बन्ध्य हैं। इसके अन्तर्गत लेप्रोस्कोप की सहायता से फैलोपियन नलिका के एम्पुला में शुक्राणु व अण्डाणुओं का निषेचन कराया जाता है।
3. अन्तःकोशिकाद्रव्यीय शुक्राणु बेधन (Intra-Cytoplasmic ***** Injection) – इसके अन्तर्गत शुक्राणुओं को प्रयोगशाला में सम्बन्धित माध्यम में रखकर प्रत्यक्ष ही अण्डाणु में बेध दिया जाता है। तत्पश्चात् भ्रूण या युग्मनज को स्त्री के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है।
4. कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Inseminaion) – इसका प्रयोग उन पुरुषों पर किया जाता है। जिनमें शुक्राणुओं की कमी होती है। इस विधि मे पुरुष के वीर्य को एकत्रित करके स्त्री की योनि में स्थापित कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त निसंतान दम्पति, अनाथ व आश्रयहीन बच्चों को कानूनी रूप से गोद ले सकते हैं।