लैमार्क के मूल आधार निम्नलिखित हैं –
जीव के आन्तरिक बल में जीवों के आकार को बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है जिसका अर्थ यह है कि जीवों के पूरे शरीर तथा उनके विभिन्न अंगों में बढ़ने की प्रवृत्ति होती है।
जीवों की लगातार नयी जरूरतों के अनुसार नये अंगों तथा शरीर के दूसरे भागों का विकास होता है।
किसी अंग का विकास तथा उसके कार्य करने की क्षमता उसके उपयोग तथा अनुपयोग पर निर्भर करती है। लगातार उपयोग से अंग धीरे-धीरे मजबूत हो जाते हैं तथा पूर्णतः विकसित हो जाते हैं। जबकि उनके अनुपयोग से इसका उल्टा प्रभाव पड़ता है। इससे इन अंगों का धीरे-धीरे अपह्रास (degeneration) हो जाता है और अन्त में ये लुप्त हो जाते हैं।
इस प्रकार जीवनकाल में आये परिवर्तनों को जीव उपार्जित (acquire) कर लेता है और उसे आनुवंशिकी (heredity) द्वारा अपनी संतानों में पहुँचा देता है।