संसार में तीन बातें बड़ी महत्वपूर्ण होती है। इनको प्राप्त करके तुम संसार के किसी भी कोने में जाओगे, तो अपना निर्वाह कर सकोगे। ये तीन बातें हैं – अपनी आत्मा का, अपने आप का और ईश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना। इनका मतलब यह नहीं कि तुम्हें अक्षर ज्ञान नहीं मिलेगा। वह तो मिलेगा ही। लेकिन तुम उसकी चिंता करो, यह मैं नहीं कहता। इसके लिए तुम्हारे पास अभी बहुत समय है। अक्षर-ज्ञान तो इसलिए होता है कि जो कुछ तुम्हें मिला है, उसे तुम दूसरों को दे सको। इतना और याद रखना कि अब से हमें गरीबी में रहना है। जितना अधिक मैं विचार करता हूँ, उतना ही अधिक मुझे लगता है कि गरीबी में ही सुख है। इसलिए मेरी इच्छा है कि अपने परिवार में तुम एक योग्य किसान बनो। अक्षर-ज्ञान में गणित और संस्कृत पर पूरा ध्यान रखना। भविष्य में संस्कृत तुम्हारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। ये दोनों विषय बड़ी उम्र में सीखना कठिन है।
1) उपर्युक्त गद्यांश में किन तीन महत्वपूर्ण बातों की चर्चा की गई है?
2) लेखक के अनुसार ‘अक्षर-ज्ञान’ का क्या उद्देश्य है?
3) लेखक अपने पुत्र को योग्य किसान बनने की सलाह क्यों दे रहा है?
4) अक्षर-ज्ञान में कौन सी दो विषयों का ध्यान रखना है?
5) इस गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।