सूरदास भगवान श्रीकृष्ण के रूप-सौन्दर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं- गोपिकाओं ने यमुना नदी तट पर श्रीकृष्ण को देख लिया। वे मोर मुकुट पहने हुए हैं। कानों में मकराकृत कुण्डल धारण किये हुए हैं। पीले रंग के रेशमी वस्त्र पहने हुए हैं। उनके तन पर चन्दन-लेप है। वे अत्यंत शोभायमान हैं। उनके दर्शन मात्र से गोपिकाएँ तृप्त हुईं। हृदय की तपन बुझ गई। वे सुन्दरियाँ प्रेम-मग्न हो गईं। उनका हृदय भर आया। सूरदास कहते हैं कि प्रभु श्रीकृष्ण अन्तर्यामी हैं और गोपिकाओं के व्रत को पूरा करने के लिए ही पधारे हैं।