सूरदास ने बालक कृष्ण के ‘माखन-चोरी’ प्रसंग का वर्णन अत्यंत मनोहर ढंग से प्रस्तुत किया है। एक बार माखन चोरी करते हए कन्हैया गोपिका के हाथ पकड़े गये। गोपिका गुस्से से उन्हें कहती है कि मुझे तुमने दिन-रात बहुत सताया। मैं तंग आ चुकी हूँ। मेरा माखन, दूध एवं दही सब खा लिया है लेकिन अब नहीं चलेगा। तुम्हारे घर से सब माखन, दूध एवं दही मँगाऊँगी। कृष्ण कहते हैं कि तेरी कसम मैंने माखन नहीं खाया है। मेरे मित्र सब खाकर चले गए। उनके मुख पर माखन लगे देख गोपिका सारा रहस्य समझ जाती है। गोपिका का गुस्सा क्षण भर में समाप्त हो जाता है और वह उन्हें गले लगा लेती है।