+2 votes
in Class 12 by kratos

ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :

युद्धं देहि कहे जब पामर
दे न दुहाई पीठ फेर कर;
या तो जीत प्रीति के बल पर
या तेरा पद चूमे तस्कर।

1 Answer

+1 vote
by kratos
 
Best answer

प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘कायर मत बन’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता नरेन्द्र शर्मा हैं।

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने मनुष्य को कायर न बनने का संदेश देते हुए कहा है कि मनुष्य को मनुष्यता का ध्यान भी रखना अवश्यक है।

स्पष्टीकरण : कवि कह रहे हैं- हे मनुष्य! तुम कुछ भी बनो बस कायर मत बनो। अगर कोई दुष्ट या क्रूर व्यक्ति तुमसे टक्कर लेने खड़ा हो जाए, तो उसकी ताकत से डरकर तू पीछे मत हटना। पीठ दिखाकर भाग न जाना। संसार में कई ऐसे महापुरुष जन्मे हैं, जिन्होंने प्यार और सेवाभाव से दुष्टों के दिल को भी जीत लिया या पिघलाया है। क्योंकि हिंसा का जवाब प्रतिहिंसा से देना नहीं। प्रतिहिंसा भी दुर्बलता ही है, लेकिन कायरता तो उससे भी अधिक अपवित्र है। इसलिए हे मानव! तुम कुछ भी बनो लेकिन कायर मत बनो।

...