लेखिका उसे हाल से उठाकर अपने कमरे में लायी – फिर रूई से रक्त पोछकर धावों पर पेन्सिलिन का महरम लगाया कई घंटे के उपचार के उपशन्त उस के मुह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन तक वह थोदा चल पाने की कोशिश कर रहा था। इस तरह लेखिक ने गिल्लू के प्राण बचाये