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in Chemistry by kratos

निम्न सेलों की संरचना तथा कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए

  1. शुष्क सेल तथा

  2. मर्करी सेल।

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by kratos
 
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1. शुष्क सेल – यह सबसे अधिक प्रयोग किए जाने वाला प्राथमिक व्यापारिक सेल है। एक सामान्य शुष्क सेल को संलग्न चित्र में दर्शाया गया है। इसमें जिंक धातु से बना एक पात्र होता है जो ऐनोड का कार्य करता है। MnO2 + C चूर्ण से घिरी एक ग्रेफाइट छड़ कैथोड का कार्य करती है। जिंक पात्र तथा ग्रेफाइट छड़ के मध्य के रिक्त स्थान में NH4Cl तथा ZnCl2 का एक नम पेस्ट भरा रहता है। जिंक पात्र के चारों ओर गत्ते का आवरण चढ़ा रहता है। सेल के ऊपरी सिरे को मोम अथवा पिच (pitch) से सील कर दिया जाता है।

इस सेल में जटिल रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं।

इन अभिक्रियाओं को सरल रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-

ऐनोड पर– Zn(*) → Zn2+ + 2e–

कैथोड पर– MnO2 + NH+4 +e– → MnO(OH) + NH3

ऐनोड पर जिंक ऑक्सीकृत होकर Zn2+ आयनों में परिवर्तित होता है। कैथोड पर मैंगनीज +4 अवस्था से +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अपचयित होता है। कैथोड अभिक्रिया में उत्पन्न अमोनिया ऐनोडिक अभिक्रिया में उत्पन्न Zn2+ आयनों से संयोग कर Zn(NH3)+4 आयनों का निर्माण करती है। Zn2+आयनों के NH3 अणुओं द्वारा जटिलीकरण के कारण मुक्त Zn2+ आयनों की सान्द्रता घट जाती है। जिससे सेल की वोल्टता (voltage) में वृद्धि होती है।

शुष्क सेल का विभव लगभग 1.25 – 1.5 V होता है। इन सेलों की आयु अधिक नहीं होती है क्योंकि सेल में प्रयुक्त NH4Cl अम्लीय प्रकृति का होता है और प्रयोग में न लेने की अवस्था में भी जिंक पात्र का संक्षारण (corrosion) करता रहता है। यह एक प्राथमिक सेल है तथा इसे पुनः आवेशित करना सम्भव नहीं है।

(ii) मर्करी सेल – मर्करी सेल एक विशेष प्रकार का शुष्क सेल है जिसका उपयोग प्राय: घड़ी, कैमरा आदि छोटे यन्त्रों में ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है।

मर्करी सेल में जिंक-मर्करी अमलगम ऐनोड के रूप में कार्य करता है। मरक्यूरिक ऑक्साइड (HgO) तथा कार्बन का एक पेस्ट कैथोड का कार्य करता है। पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) तथा जिंक ऑक्साइड (ZnO) के एक पेस्ट को विद्युत अपघट्य के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। सेल में निम्न अभिक्रियाएँ होती हैं –

ऐनोड पर – Zn (amalgam) + 2OH– → ZnO(*) + H20+ 2e–

कैथोड पर – HgO(*) + H2O+ 2e– → Hg(l) + 2OH–

नेट सेल अभिक्रिया –

Zn(amalgam) + HgO() → ZnO() + Hg(l)

इस सेल की सेल अभिक्रिया में विलयन में उपस्थित कोई ऐसा आयन निहित नहीं है जिसकी सान्द्रता में परिवर्तन हो सकता हो। इस कारण इस सेल का सेल विभव केवल प्रयोग की अवधि में ही नहीं अपितु इसके सम्पूर्ण कार्यकाल में स्थिर रहता है। इसका सेल विभव लगभग 1.35 V है।

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