पृथ्वी के आयनमण्डल में अनेक आवेशित कण विद्यमान रहते हैं जिनकी गति एक अलग चुम्बकीय-क्षेत्र उत्पन्न करती है। यही चुम्बकीय-क्षेत्र, पृथ्वी तल से अधिक दूरी पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र को विकृत कर देता है। आयनों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय-क्षेत्र सौर पवन पर निर्भर करता है।