आयरन के ऑक्साइड अयस्कों को निस्तापन अथवा भर्जन से सान्द्रित करके, लाइमस्टोन तथा कोक के साथ मिश्रित करके वात्या भट्टी के हॉपर में डाला जाता है। वात्या भट्टी में विभिन्न ताप-परासों में आयरन ऑक्साइड का अपचयन होता है। वात्या भट्टी में होने वाली अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं –
500 – 800 K पर (वात्या भट्टी में निम्न ताप परिसर में)
• 3Fe2O3 + CO → 2 Fe3O4 + CO2 ↑
• Fe3O4 + 4 CO → 3 Fe ↓ + 4CO2 ↑
• Fe2O3 + CO → 2 FeO + CO2 ↑
900 – 1500 K पर (वात्या भट्टी में उच्च ताप-परिसर में)
• C + CO2 → 2 CO ↑
• FeO + CO → Fe + CO2 ↑
चूना पत्थर (लाइमस्टोन) भी CaO में अपघटित हो जाता है जो अयस्क की सिलिकेट अशुद्धि को धातुमल के रूप में हटा देता है। धातुमल (slag) गलित अवस्था में होता है तथा आयरन से पृथक्कृत हो जाता है।