चुम्बकशीलता µ (Magnetic Permeability)- जब किसी चुम्बकीय पदार्थ को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तो वह पदार्थ चुम्बकित हो जाता है तथा उस पदार्थ में से, वायु के सापेक्ष, अधिक बल-रेखाएँ गुजरती हैं। इससे स्पष्ट है कि बल-रेखाएँ वायु की अपेक्षा चुम्बकीय पदार्थ में से अधिक सुगमता से गुजरती हैं। इसे हम इस प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं कि वायु की अपेक्षा लोहे में अधिक ‘चुम्बकशीलता’ है। किसी चुम्बकीय पदार्थ में उत्पन्न चुम्बकीय प्रेरण vector B तथा vector H चुम्बकीय क्षेत्र में के अनुपात को पदार्थ की चुम्बकशीलता कहते हैं, अर्थात्।
संख्यात्मक रूप से µ = B/H
इसका *.I. मात्रक वेबर/(ऐम्पियर-मीटर) अथवा न्यूटन/ऐम्पियर2 है।
आपेक्षिक चुम्बकशीलता µr (Relative Magnetic Permeability)- किसी चुम्बकीय पदार्थ की आपेक्षिक चुम्बकशीलता, पदार्थ की चुम्बकशीलता µ0 तथा निर्वात् (वायु) की चुम्बकशीलता 40 के अनुपात को कहते हैं, अर्थात्
यह विमाहीन राशि है तथा निर्वात् के लिए इसका मान 1 है।
चुम्बकीय प्रवृत्ति χm (Magnetic Susceptibility)- किसी पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति उस पदार्थ के चुम्बकत्व धारण करने की क्षमता से नापी जाती है अर्थात् कोई पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में कितनी सरलता से चुम्बकित होता है। किसी चुम्बकीय पदार्थ में उत्पन्न हुई चुम्बकीय तीव्रता (I) तथा उसे उत्पन्न करने वाले चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (H) के अनुपात को उस पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं, अर्थात्
χm = I/H
यह एक शुद्ध संख्या है, (I तथा H दोनों के मात्रक एक ही हैं) तथा निर्वात् के लिए इसका मान शून्य न शून्य है (क्योंकि निर्वात् में चुम्बकेन नहीं हो सकता)। अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है। प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति ताप पर निर्भर नहीं करती है।