मफल भट्ठी के अन्दर, दो उच्च ताप सह (refractory) ईंटों से बने हुए कोष्ठ होते हैं जिनको मफल (muffle) कहते हैं जैसा कि संलग्न चित्र में दिखाया गया है। सान्द्रित अयस्क को इन मफलों (रिटार्टी) के अन्दर बन्द कर दिया जाता है। दोनों मफलों को विद्युत द्वारा या ईंधन जलाकर चारों तरफ से गर्म किया जाता है। इस प्रकार इस भट्टी में न तो ईंधन और न ही ज्वाला गर्म होने वाले पदार्थ के सम्पर्क में आ सकते हैं। इस भट्ठी में पदार्थ को अत्यधिक ताप तक गर्म किया जा सकता है। धातु पिघलने पर दोनों बगलों में बने हुए निकास द्वारों के द्वारा बाहर निकल जाती है।
जिन धातुओं को गर्म करने पर ईंधन तथा उसके जलने से उत्पन्न गैसों के सम्पर्क में लाना ठीक नहीं होता उन्हीं का निष्कर्षण मफल भट्ठी में करते हैं। इसका उपयोग चाँदी, सोना, जिंक व लेड के धातुकर्म में किया जाता है।