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in Class 10 by kratos

अयस्क को समृधि करने की विधियो का वर्णन करो ।

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by kratos
 
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1. द्रव्य चालित ढुलाई – इस विधि का उपयोग आक्साइड अयस्क को समृद्ध करने के लिए किया जाता है । गैग कण समान्यता अयस्क कणों के सपेक्षा हल्के होते हैं। इस प्रक्रम मे संक्षालित एंव बारिक पीसेे हुऐ अयस्क को जल धारक द्वारा धुलाई करते है । जिसके फलस्वरूप हमे हल्के गेंग कण जल धारा के साथ बहने के उपरांत भारी अयस्क कण प्राप्त होते है ।

2. फेन प्लवन प्रक्रम – यह विधि विशेष रुप से कॉपर जिंक एंव लेड के सल्फाइड अयस्को को गैग से पृथक करने के लिए उपयोग मे लाई जाती है। इस प्रक्रम मे बारिक हुऐ अयस्क एक बडे टेक मे जल के साथ मिश्रत करके कर्दम बना लेते है। तत्पश्चात उसमे चीड का तेल डालते है। इस कर्दम मे जब तीव्र गति से वायु प्रवाहित की जाती है तो उसके फलस्वरूप हल्का तेल फेन जिसमें प्रमुख्यता सल्फाइड अयस्क होता है। ऊपर उठ कर टैक की ऊपरी सतह पर मलफेन के रूप मे तैरता है। जिसे अपमलन करके सुखा लेते है। चूँकि अयस्क गेंग भारी होते है। इसलिए जल मे डुबोकर टैंक के तल पर जमा हो जाते है।

3. विधुत चुम्बकिय पृथक्करण – इस विधी से चुम्बकिय अयस्कों अलग किया जाता है। चुम्बकिय पृथ्क्करण मे एक चमडे का पट्टा होता है जो दो रोलरो पर घूमता है जिसमे से एक रोलर विधुत चुम्बकीय होता है बारीक पिसे हुऐ अयस्क को घुमते हुऐ पटटे के एक सिरे पर डालते है। तो अयस्क का चुम्बकिय भाग , चुंबक से आकर्षित होकर उसके समीप एक ढेर के रूप में इक्कठा हो जाता बनाती हैं।

4. रासायनिक पृथ्क्करण – रासायनिक पृथ्क्करण प्रक्रम मे अयस्क एंव गैंग के रासायनिक गुणधर्मो के भिन्नता के आघार पर बानाने है, इस प्रक्रम से शुद्ध घातु प्राप्त कराने के लिए विभिन्न रासायनिक प्रक्रिया का उपयोग करते है।

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