इस पाठ के लिए माता का अँचल’ शीर्षक उपयुक्त नहीं है। इसमें लेखक के शैशव की तीन विशेषताओं का वर्णन हुआ है
बच्चे का पिता के साथ लगाव
शैशव की मस्त क्रीड़ाएँ।
माँ का वात्सल्य
‘माता का अँचल’ इन तीनों में से केवल अंतिम को ही व्यक्त करता है। अत: यह एकांगी और अधूरा शीर्षक है। इसका अन्य शीर्षक हो सकता है
मेरा शैशव
कोई लौटा दे मेरे रस-भरे दिन!