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in Class 10 by kratos

नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

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by kratos
 
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इस पाठ में नाक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की परिचायक है। जॉर्ज पंचम भारत पर विदेशी शासन के प्रतीक हैं। उनकी कटी हुई नाक उनके अपमान की प्रतीक है। इसका अर्थ है कि आज़ाद भारत में जॉर्ज पंचम की नीतियों को भारतविरोधी मानकर अस्वीकार कर दिया गया।

रानी एलिजाबेथ के आगमन से सभी सरकारी अधिकारी अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध अपनी नाराजगी व्यक्त करने की बजाय उनकी आराधना में जुट गए। जॉर्ज पंचम का भारत की धरती से कोई अनुराग नहीं था। उनकी आस्था पूरी तरह विदेशी थी। उनकी मूर्ति का पत्थर तक विदेशी था। फिर उनका मान-सम्मान किसी भारतीय नेता या बलिदानी बच्चों से भी अधिक नहीं था। उनकी नाक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की नाक से नीची थी। इसके बावजूद सरकारी अधिकारी उसकी नाक बचाने में लगे रहे। लाखों-करोड़ों रुपया बर्बाद कर दिया। यहाँ तक कि अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की नाक पर बिठा दी गई। यह पूरी भारतीय जनता के आत्मसम्मान पर चोट है। |

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