परशुराम के अनुसार लक्ष्मण संसार की सभी धनुषों को एक समान समझने की भूल कर रहे थे जबकि शिवजी का यह धनुष सारे संसार में प्रसिद्ध है। अन्य धनुषों की कोई विशेष महत्ता नहीं है। लक्ष्मण की इस भूल का कारण परशुराम यह मानते हैं कि लक्ष्मण काल के वश में होने से ऐसा कह रहे हैं।