ऊपर देखो आसमान में, किसने रंग बिखेरा काला। सूरज जाने कहाँ छिप गया, खो गया उसका कहीं उजाला ॥ देख गगन का काला चेहरा बिजली कुछ मुसकाई । लगा बहाने गगन बनाने, ज्यों बिजली ने आँख दिखाई ॥ कुछ वसुधा में आन समाया॥ वह लाई एक थाल में पानी, उसका मुँह धुलवाया। थोड़ा पानी आसमान में बाकी सब धरती पर आया ।। कुछ टपका फूलों पर जाकर कुछ ने चातक की प्यास बुझाया। कुछ तालों कुछ फसलों तक|