कन्यादान कविता में ऐसा इसलिए कहा गया है कि लड़की को दुख बाँचना नहीं आता क्योंकि लड़की अभी सयानी नहीं हुई है। उसे दुनियादारी का अनुभव नहीं है। उसे जीवन के एक ही पक्ष का ज्ञान है। वह दुखों से अनभिज्ञ है क्योंकि माँ के घर पर दुखों से उसका कभी सामना नहीं हुआ था। अब तक वह सुखमय परिस्थितियों में ही जीती आई थी।