नेताजी की मूर्ति चश्माविहीन थी। इससे उनका व्यक्तित्व अपूर्ण-सा लगता था। इस कमी को पूरा करने का प्रयास कैप्टन चश्मेवाला करता था। वह नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा दिया करता था। इस प्रकार वह मूर्ति की कमी और नेताजी के व्यक्तित्व की अपूर्णता को भरने का प्रयास करता था।