बालगोबिन भगत का संगीत हर आयुवर्ग के लोगों पर समान रूप से असर करता था। उनका स्वर अचानक एक मधुर स्वर तरंग झंकृत-सी हो उठती है। उनके मधुर गान को सुनकर बच्चे झूम उठते थे, मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ गुनगुना उठते थे, हलवाहों के पैर ताल से उठने से लगते थे और रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ क्रम से चलने लगती थीं।