फ़ादर ‘परिमल’ के सदस्यों से अत्यंत घनिष्ठ एवं पारिवारिक संबंध रखते थे। वे उम्र में बड़े होने के कारण आशीर्वचन कहते, दुखी मन को सांत्वना देते जिससे मन को उसी तरह की शांति और सुकून मिलता जैसे थके हारे यात्री को देवदार की शीतल छाया में मिलता है। इसलिए उनकी उपस्थिति देवदार की छाया-सी लगती है।