फ़ादर का सान्निध्य और उत्सवों के अवसर पर फ़ादर बड़े भाई और पुरोहित के समान साथ खड़े होते और आशीर्वाद से भर देते। लेखक को उसका बच्चा और उसके मुँह में फ़ादर द्वारा अन्न डालना और उनकी आँखों में चमकता वात्सल्य अब भी याद है। यह वात्सल्य और सान्निध्य उसी तरह शीतलता से भर देता, जैसे देवदारु वृक्ष की शीतल छाया किसी यात्री को शीतलता से भर देती है।