‘स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्को का खंडन’ पाठ में स्त्रियों के लिए शिक्षा की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए इसे समाज की उन्नति के लिए अत्यावश्यक बताया गया है। लेखक ने समाज में स्त्री शिक्षा विरोधियों के कुतर्को का जवाब देते हुए अपने तर्कों के माध्यम से लोहा लेने का प्रयास किया है। वे उन्हीं परंपराओं को अपनाने का आग्रह करते हैं। जो स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी हों। वे लोगों से स्वविवेक से फैसला लेने तथा शिक्षा के प्रति सड़ी-गली रूढ़ियों को त्यागने का आग्रह करते हैं। हर काल में स्त्री शिक्षा को प्रासंगिक एवं उपयोगी बताते हुए अनेकानेक उद्धरणों का उल्लेख किया है।