मीठी वाणी/बोली संबंधी दोहे-
(क) बोली एक अमोल है जो कोई बोले जानि । हिए तराजू तौलि के तब मुँह बाहर आनि ।।
(ख) कागा काको सुख हरै, कोयल काको देय। मीठे वचन सुनाय के, जग अपनो करि लेय ।।
(ग) मधुर वचन है औषधी कटुक वचन है तीर । स्रवण द्वार हवै संचरै सालै सकल शरीर ।।
ईश्वर प्रेम संबंधी दोहा-
(घ) रहिमन बहु भेषज करत, व्याधि न छाँड़त साथ । खग मृग बसत अरोग बन हरि अनाथ के नाथ ।।
अन्य दोहों का संकलन छात्र स्वयं करें।