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in Class 12 by kratos

मानव विकास के विभिन्न घटकों का पता कीजिए (संकेत-मस्तिष्क साइज और कार्य, कंकाले संरचना, भोजन में पसंदगी आदि)।

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by kratos
 
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लगभग 16 मिलियन वर्ष पूर्व ड्रायोपिथिकस (Dryopithecus) तथा रामापिथिकस (Ramapithecus) प्राइमेट्स विद्यमान थे। इनके शरीर पर भरपूर बाल थे तथा ये गोरिल्ला एवं चिम्पैंजी जैसे चलते थे। इनमें ड्रायोपिथिकस वनमानुष (ape) जैसे और रामापिथिकस मनुष्यों जैसे थे। इथोपिया तथा तंजानिया में अनेक मानवी विशेषताओं को प्रदर्शित करते जीवाश्म प्राप्त हुए। इससे यह स्पष्ट होता है कि 3-4 मिलियन वर्ष पूर्व मानव जैसे वानर गण (प्राइमेट्स) पूर्वी अफ्रीका में विचरण करते थे। ये लगभग 4 फुट लम्बे थे और सीधे खड़े होकर चलते थे। लगभग 2 मिलियन वर्ष पूर्व ऑस्ट्रेलोपिथेसिन (Australopithecines) अर्थात् आदि मानव सम्भवतः पूर्वी अफ्रीका के घास स्थलों में विचरण करता था। होमो हैबिलिस ( habilis) को प्रथम मानव जैसे प्राणी के रूप में जाना जाता है। होमो इरेक्टस ( erectus) के जीवाश्म लगभग 1.5 मिलियन वर्ष पूर्व के हैं। इसके अन्तर्गत जावा मानव, पेकिंग मानव, एटलांटिक मानवे आते हैं। प्लीस्टोसीन युग के अन्तिम काल में होमो सेपियन्स (वास्तविक मानव) ने होमो इरेक्टस का स्थान ले लिया। इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से निएण्डरथल मानव, क्रोमैगनॉन मानव एवं वर्तमान मानवे आते हैं।

मानव विकास के विभिन्न घटक

विकास के अन्तर्गत उपार्जित निम्नलिखित विशिष्ट घटकों (लक्षणों) के कारण मानव का विकास हुआ –

1. द्विपाद चलन (Bipedal locomotion) – मानव पिछली टाँगों की सहायता से चलता है। अग्रपाद (भुजाएँ) अन्य कार्यों के उपयोग में आती हैं। पश्चपाद लम्बे और मजबूत होते हैं।

2. सीधी मुद्रा (***** posture) – इसके लिए निम्नलिखित परिवर्तन हुए हैं –

  1. टाँगें लम्बी होती हैं। धड़ छोटा और वक्ष चौड़ा होता है।

  2. कशेरुक दण्ड में लम्बर कशेरुकाओं की संख्या 4-5 होती है। त्रिक कशेरुकाएँ समेकित होती हैं।

  3. कशेरुक दण्ड में कटि आधान (lumbar curve) होता है।

  4. श्रोणि मेखला चिलमचीनुमा (basin shaped) होती है।

  5. खोपड़ी कशेरुक दण्ड पर सीधी-सधी होती है महारन्ध्र नीचे की ओर होता है।

3. चेहरा (Face) – मानव का चेहरा उभर कर सीधा रहता है। इसे ऑर्थोग्नेथस (orthognathous) कहते हैं। मानव में भौंह के उभार हल्के होते हैं।

4. दाँत (Teeth) – सर्वाहारी होने के कारण अविशिष्टीकृत होते हैं। इनकी संख्या 32 होती है। मानव पहले शाकाहारी था, बाद में सर्वाहारी हो गया।

5. वस्तुओं को पकड़ने की क्षमता (Grasping ability) – मानव के हाथ वस्तुओं को पकड़ने के लिए रूपान्तरित हो गए हैं। अँगूठा सम्मुख (opposable) हो जाने के कारण वस्तुओं को पकड़ने व उठाने की क्षमता का विकास हुआ।

6. मस्तिष्क व कपाल क्षमता (Brain & Cranial Capacity) – प्रमस्तिष्क तथा अनुमस्तिष्क(cerebrum & cerebellum) सुविकसित होता है। कपाल क्षमता लगभग 1450 cc होती है। शरीर के भार वे मस्तिष्क के भार का अनुपात सबसे अधिक होता है। मस्तिष्क के विकास होने के कारण मानव का बौद्धिक विकास (intelligence) चरम सीमा पर पहुँच गया है। इसमें अक्षरबद्ध वाणी, भावनाओं की अभिव्यक्ति, चिन्तन, नियोजन एवं तर्क संगतता की अपूर्ण क्षमता होती है।

7. द्विनेत्री दृष्टि (Binocular vision) – द्विपादगमन के फलस्वरूप इसमें द्विनेत्री (binocular) तथा त्रिविमदर्शी (stereoscopic) दृष्टि पायी जाती है।

8. जनन क्षमता (Breeding capacity) में कमी, शरीर पर बालों की कमी, घ्राण शक्ति (Olfactory sense) में कमी, श्रवण शक्ति (hearing) में कमी आदि अन्य विकासीय लक्षण हैं।

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