स्टेनले मिलर का प्रयोग ( Stanley Miller’* Experiment) – शिकागो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक हेरोल्ड यूरे (Harold Urey) तथा स्टेनले मिलर ( Stanley Miller) ने सन् 1953 में जीवन की उत्पत्ति के सन्दर्भ में प्रयोग किये। उन्होंने आदि पृथ्वी पर पाये जाने वाले आदि वातावरण की परिस्थिति को प्रयोगशाला में उत्पन्न किया तथा जीवन की उत्पत्ति की प्रयोगशाला में जाँच की। मिलर ने एक बड़े फ्लास्क में मेथेन, अमोनिया तथा हाइड्रोजन गैस 2 : 1 : 2 के अनुपात में ली। गैसीय मिश्रण को टंगस्टन के इलेक्ट्रोड द्वारा गर्म किया गया। दूसरे फ्लास्क में जल को उबालकर जल वाष्प (water vapor-H,0) बनायी जिसे एक मुड़ी हुई काँच की नली द्वारा बड़े फ्लास्क में प्रवाहित किया। इसके उपरान्त दोनों के मिलने से बने मिश्रण को कण्डेन्सर द्वारा ठण्डा किया गया। ठण्डा मिश्रण एक U नली में एकत्रित किया गया जो गन्दे लाल रंग का द्रव था। इस प्रकार पूरे सप्ताह तक यह प्रयोग किया गया। प्रयोग द्वारा प्राप्त तरल द्रव का रासायनिक परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि इसमें ग्लाइसीन (glycine); ऐलेनिन (alanine) नामक अमीनो अम्ल तथा अन्य जटिल कार्बनिक यौगिकों का निर्माण हो गया था (चित्र)।
इसी प्रकार अनेक वैज्ञानिकों; जैसे- सिडनी फॉक्स ( Sydney Fox), केल्विन (Calvin) तथा मैल्विन (Melvin) आदि ने प्रयोगों द्वारा अनेक अमीनो अम्ल तथा जटिल यौगिकों का संश्लेषण किया। इन्हें अनुरूपण प्रयोग (simulation experiments) कहा जाता है।