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in Class 12 by kratos

मानव कल्याण में पशुपालन की भूमिका की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।

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by kratos
 
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मानव कल्याण में पशुपालन की भूमिका (Role of Animal Husbandry in Human ***)-विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य उत्पादन की वृद्धि एक प्रमुख आवश्यकता है। पशुपालन पर लागू होने वाले जैविक सिद्धान्त खाद्य उत्पादन बढ़ाने के हमारे प्रयासों में मुख्य भूमिका निभाते हैं। पशुपालन, पशु प्रजनन तथा पशुधन वृद्धि की एक कृषि पद्धति है। पशुपालन का सम्बन्ध पशुधन जैसे-भैंस, गाय, सुअर, घोड़ा, भेड़, ऊँट, बकरी आदि के प्रजनन तथा उनकी देखभाल से होता है जो मानव के लिए लाभप्रद हैं। इसमें कुक्कुट पालन तथा मत्स्य पालन भी शामिल हैं। मत्स्यकी (fisheries) मंद मत्स्यों (मछलियों), मृदुकवची (मोलस्क) तथा क्रस्टेशिआई (प्रॉन, क्रैब आदि) का पालन-पोषण, उनको पकड़ना (शिकार) बेचना आदि शामिल हैं। अति प्राचीनकाल से मानव द्वारा मधुमक्खी, रेशमकीट, झींगा, केकड़ा, मछलियाँ, पक्षी, सुअर, भेड़, ऊँट आदि का प्रयोग उनके उत्पादों जैसे- दूध, अण्डे, मांस, ऊन, रेशम, शहद आदि प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है।

डेरी उद्योग (dairying) एक पशुप्रबन्धन है जिससे मानव खपत के लिए दुग्ध तथा इसके उत्पाद प्राप्त होते हैं। कुक्कुट का प्रयोग भोजन (मांस) प्राप्त करने के लिए अथवा उनके अण्डों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। मधुमक्खी पालन शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के छत्तों का रख-रखाव है। शहद उच्च पोषक महत्त्व का एक आहार है तथा आयुर्वेद औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। मधुमक्खियों से मोम भी प्राप्त होता है, मोम का प्रयोग कान्तिवर्द्धक सौन्दर्य प्रसाधनों में तथा विभिन्न प्रकार के पॉलिश वाले उद्योगों में किया जाता है। एक गणना के अनुसार विश्व का 70 प्रतिशत से भी अधिक पशुधन भारत तथा चीन में है।

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