बहुत पहले से लोग जानते हैं कि जब कोई मधुमक्खी (स्काउट मक्खी – scout bee) भोजन के किसी नये स्रोत का पता लगाकर छत्ते में लौटती है तो इसके शीघ्र बाद ही छत्ते से कई भोजन-संग्रहकर्ता मक्खियाँ, स्काउट मक्खी को साथ लिये बिना ही, स्वतन्त्र रूप से नये स्रोत की ओर उड़ जाती हैं। अतः स्पष्ट है कि स्काउट मक्खियाँ भोजन के नये स्रोतों की सूचना भोजन-संग्रहकर्ता मक्खियों को देती हैं। सदियों से वैज्ञानिक मधुमक्खियों में इस सूचना-प्रसारण की विधि का पता लगाने का प्रयास करते रहे हैं। अर्नेस्ट स्पाइट्ज़नर (Ernest Spytzner, 1788) ने पहले-पहल बताया कि स्काउट मक्खियाँ कुछ विशिष्ट प्रकार की गतियों (movements) द्वारा सूचना-प्रसारण करती हैं। इन गतियों को अब “मधुमक्खी के नाच (bee dances)’ कहते हैं। सन् 1946 से 1969 तक अनवरत अनुसंधान के फलस्वरूप, प्रो० कार्ल वॉन फ्रिश (Karl Von Frisch) ने “मधुमक्खी के नाच’ की व्याख्या करने में सफलता पाई और इसके लिये नोबेल पुरस्कार जीता। उन्होंने पता लगाया कि सूचना-प्रसारण के लिये भोजन-खोजकर्ता या स्काउट मक्खियाँ दो प्रकार का “नाच’ करती हैं। (चित्र 7.1)-(1) गोल नाच तथा (2) दुम-दोलनी नाच।
1. गोल नाच (Round Dance) – इस नाच में स्काउट मक्खी क्रमशः दाईं-बाईं ओर गोल-गोल चक्कर काटती है। ऐसे नाच द्वारा सूचना-प्रसारण तब किया जाता है जब नया भोजन-स्रोत निकट (छत्ते से 75 मीटर तक) ही होता है। इसमें स्रोत की दिशा की सूचना प्रसारित नहीं होती; स्काउट मक्खी द्वारा लाई गई फूलों की सुगन्ध से ही भोजन-संग्रहकर्ता मक्खियों का मार्गनिर्देशन हो जाता है और ये निर्दिष्ट फूलों तक पहुँच जाती हैं।
2. दुम-दोलनी नाच (Tail-wagging or “Shuffle” Dance) – स्काउट मक्खियाँ इस नाच द्वारा सूचना-प्रसारण तब करती हैं जब नया भोजन-स्रोत छत्ते से 75 मीटर से अधिक दूर होता है। इस नाच द्वारा भोजन-स्रोत की दूरी एवं सूर्य के संदर्भ में इसकी दिशा के ज्ञान का भी प्रसारण होता है। इसमें स्काउट मक्खी पहले एक सीधी रेखा पर तेजी से चलती है। फिर इस रेखा के एक ओर अर्धवृत्ताकार पथ पर चल कर वापस इसी सीधी रेखा पर चलती है। फिर इस रेखा के दूसरी ओर अर्धवृत्ताकार पथ पर चलकर वापस सीधी रेखा पर चलती है। यही गति बार-बार दोहराई जाती है। सीधी रेखा पर चलते समय यह उदर के पिछले अर्थात् पुच्छ भाग को तेजी से दायें-बायें हिलाती रहती है और साथ ही पंखों को फड़-फड़ाकर एक मन्द गति ध्वनि उत्पन्न करती रहती है।
सीधी रेखा पर मक्खी की गति की दिशा से, सूर्य की वर्तमान स्थिति के अनुसार, भोजन-स्रोत की दिशा का ज्ञान होता है। पूर्ण नाच की दर तथा सीधी रेखा पर चलते समय दुम-दोलनी की दर एवं ध्वनि की तीव्रता से स्रोत की दूरी का ज्ञान होता है। यदि सीधी रेखा पर मक्खी छत्ते में ऊपर से नीचे की ओर चलती है तो स्रोत छत्ते से सूर्य की ओर न होकर विपरीत दिशा में होता है और यदि यह गति नीचे से ऊपर की ओर होती है तो स्रोत सूर्य की दिशा में होता है। यदि स्रोत सूर्य की दिशा से किसी कोण पर होता है तो सीधी रेखा भी तद्नुसार ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर की ओर न होकर उसी कोण पर होती है। नाच के समय भोजन-संग्रहकर्ता मक्खियाँ स्काउट मक्खी को छु-छूकर स्पर्श-ज्ञान द्वारा तथा स्काउट मक्खी के पंखों की फड़-फड़ाहट की ध्वनि की श्रवण-संवेदना द्वारा सूचना ग्रहण करती हैं।