वैश्विक उष्णता में वृद्धि के कारण – ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि के कारण पृथ्वी की। सतह का ताप काफी बढ़ जाता है जिसके कारण विश्वव्यापी उष्णता होती है। गत शताब्दी में पृथ्वी के तापमान में 0.6°C वृद्धि हुई है। इसमें से अधिकतर वृद्धि पिछले तीन दशकों में ही हुई है। एक सुझाव के अनुसार सन् 2100 तक विश्व का तापमान 1.40 – 5.8°C बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि तापमान में इस वृद्धि से पर्यावरण में हानिकारक परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप विचित्र जलवायु-परिवर्तन होते हैं। इसके फलस्वरूप ध्रुवीय हिम टोपियों और अन्य जगहों, जैसे हिमालय की हिम चोटियों का पिघलना बढ़ जाता है। कई वर्षों बाद इससे समुद्र तल का स्तर बढ़ेगा जो कई समुद्र तटीय क्षेत्रों को जलमग्न कर देगा।
वैश्विक उष्णता के निम्नांकित प्रभाव हो सकते हैं –
अन्न उत्पादन कम होगा
भारत में होने वाली मौसमी वर्षा पूर्ण रूप से बन्द हो सकती है
मरुभूमि का क्षेत्र बढ़ सकता है
एक-तिहाई वैश्विक वन समाप्त हो सकते हैं
भीषण आँधी, चक्रवात तथा बाढ़ की संभावना बढ़ जाएगी
2050 ई० तक एक मिलियन से अधिक पादपों एवं जन्तुओं की जातियाँ समाप्त हो जाएँगी।
वैश्विक उष्णता को निम्नलिखित उपायों द्वारा नियन्त्रित किया जा सकता है –
जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करना
ऊर्जा दक्षता में सुधार करना
वनोन्मूलन को कम करना
मनुष्य की बढ़ती हुई जनसंख्या को कम करना
जानवरों की विलुप्त हो रही प्रजातियों को संरक्षित करना
वनों का विस्तार करना
वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।