दीपक से निरंतर जलते रहने का आग्रह किया जा रहा है। दीपक स्वयं जलता है परंतु दूसरों का मार्ग प्रकाशित कर देता है। वह त्याग और परोपकार का संदेश देता है। दीपक से हर परिस्थिति में चाहे आँधी हो या तूफ़ान, यहाँ तक अपने अस्तित्व को मिटाकर भी जलने का आह्वान किया जा रहा है। कवयित्री के लिए प्रभु ही सर्वस्व है। इसलिए वह अपने हृदय में प्रभु के प्रति आस्था और भक्ति का भाव जगाए रखना चाहती है। – मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!