(क) “मैं नीर भरी दुख की बदली’ कविता पुस्तकालय से प्राप्त कर छात्र स्वयं पढ़ें।
(ख) जो तुम आ जाते एक बार।
कितनी करुणा कितने संदेश।
पथ में बिछ जाते बन पराग, गाता प्राणों का तार-तार।
अनुराग भरा उन्माद राग आँसू लेते वे पद पखार।
हँस उठते पल में आर्द्र नयन,
धुल जाता ओठों से विषाद,
छा जाता जीवन में वसंत,
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देती सर्वस्व वार।
जो तुम आ जाते एक बार।