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in Class 10 by kratos

भाव स्पष्ट कीजिए-

नत शिर होकर सुख के दिन में

तव मुख पहचानँ छिन-छिन में।

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by kratos
 
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इन पंक्तियों का भाव है कि कवि सुख के समय, सुख के दिनों में भी परमात्मा को हर पल श्रद्धा भाव से याद करना चाहता है तथा हर पल उसके स्वरूप को पहचानना चाहता है। अर्थात् कवि दुख-सुख दोनों में ही सम भावे से प्रभु को याद करते रहना चाहता है तथा उसके स्वरूप की कृपा को पाना चाहता है।

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