हमारे जीका की रफ्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
जापान के लोगों के जीवन की गति बहुत अधिक बढ़ गई है इसलिए वहाँ लोग चलते नहीं, बल्कि दौड़ते हैं। कोई बोलता नहीं है, बल्कि जापानी लोग बकते हैं और जब ये अकेले होते हैं, तो स्वयं से ही बड़बड़ाने लगते हैं अर्थात् स्वयं से ही बातें करते रहते हैं।