लेखक को उसकी माँ बताया करती थी कि हरिहर काका बचपन में उसे बहुत प्यार करते थे। वे उसे कंधे पर बिठाकर घुमाया करते थे। एक पिता अपने बेटे को जितना प्यार करता है, हरिहर काका उससे ज्यादा प्यार लेखक को करते थे। वे जितना खुलकर लेखक से बातें करते थे, उतना किसी अन्य से नहीं। हरिहर काका ने ऐसी दोस्ती किसी अन्य के साथ नहीं की। इस तरह उसने जाना कि काका उसे बचपन में बहुत प्यार करते थे।