ठाकुरबारी से छुड़ाकर लाने के बाद अपने ही घर में हरिहर काका के बारे में नया वातावरण तैयार हो रहा था। उन्हें ठाकुरबारी से जिस दिन वापस लाया गया था, उसी दिन से उनके भाई और रिश्ते-नाते के लोग समझाने लगे थे कि विधिवत अपनी जायदाद वे अपने भतीजों के नाम लिख दें। वह जब तक ऐसा नहीं करेंगे तब तक महंत की गिद्ध-दृष्टि उनके ऊपर लगी रहेगी।