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in Class 10 by kratos

लखनऊ आकर भी इफ्फ़न की दादी की एक विशिष्ट पहचान बनी हुई थी। स्पष्ट कीजिए।

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by kratos
 
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इफ़्फ़न की दादी लखनऊ के पूरब की रहने वाली थी। वे जमींदार की बेटी थी जो विवाह के बाद अपनी ससुराल लखनऊ आ गईं। वे यहाँ भी पूरबी बोलती थी। वे हिंदू-मुस्लिम संस्कृति के मेल-जोल का जीता-जागता नमूना थी। वे रोजा-नमाज़ की पाबंद थी, परंतु इकलौते बेटे को जब चेचक निकली तो उन्होंने प्रार्थना की, “माता मोरे बच्चे को माफ़ कर द्यो।’ वे सदा मायके की ही भाषा बोलती रही।

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