धुवित तथा अधुवित प्रकाश में अन्तर- साधारण प्रकाश में वैद्युत वेक्टर के कम्पन तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् सभी दिशाओं में होते हैं, अर्थात् ये तरंग संचरण की दिशा के परितः सममित होते हैं, अत: साधारण प्रकाश को अधुवित प्रकाश (unpolarised light) कहा जाता है। यदि किसी युक्ति द्वारा साधारण प्रकाश के वैद्युत वेक्टरों के कम्पन, तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् तल में केवल एक दिशा में सीमित कर दिये जायें, अर्थात् इन कम्पनों को तरंग संचरण की दिशा के परितः असममित कर दिया जाये तो इस प्रकार प्राप्त प्रकाश धुवित प्रकाश (polarised light) कहलाता है। इसी को समतल ध्रुवित प्रकाश भी कहते हैं। प्रकाश सम्बन्धी यह घटेंना प्रकाश का धुवण (polarisation of light) कहलाती है। अधूवित प्रकाश में प्रकाश के संचरण की दिशा के लम्बवत् तल में कम्पन की सभी दिशाएँ सम्भव हैं, अतः अध्रुवित प्रकाश को एक तारे द्वारा प्रदर्शित किया जाता है [चित्र (a)]।
प्रकाश के समतल-ध्रुवित पूँज में कम्पन एक सीधी रेखा के अनुदिश होते हैं। जब कम्पन कागज के तल के समान्तर होते हैं, तो वे तीर युक्त रेखाओं द्वारा निरूपित किये जाते हैं [चित्र (b)]। जब कम्पन कागज के तल के लम्बवत् एक सीधी रेखा के अनुदिश होते हैं, तो वे बिन्दुओं द्वारा निरूपित किये जाते हैं [चित्र (c)]