इस परियोजना के तहत देश के लगभग 1,000 ग्रामीण युवाओं का जीनोम सैम्पल एकत्र करके इंडीजिनस जेनेटिक मैपिंग (Indigenous Genetic Mapping) द्वारा इनके जीनोम का अनुक्रमण किया जाएगा।
क्रियाविधि
- जीनोम को रक्त के नमूने के आधार पर अनुक्रमित किया जाएगा जिसके अंतर्गत अधिकांश राज्यों को कवर करने के लिये कम-से-कम 30 शिविर आयोजित किये जाएँगे।
- सभी व्यक्तियों, जिनका जीनोम अनुक्रम किया जाता है, को एक रिपोर्ट दी जाएगी। साथ ही उन्हें उनके जीन की संवेदनशीलता की जानकारी प्रदान की जाएगी।
- सामान्यतः कई मामलों में विभिन्न विकारों का कारण एकल-जीन होते हैं।
लक्ष्य
- लोगों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में CT स्कैन की भाँति जीनोम के अनुक्रमण के बारे में ज़्यादा-से-ज़्यादा जागरूक किया जाएगा क्योंकि भारत में यह प्रक्रिया काफी हद तक एक समृद्ध शहरी जनसांख्यिकी तक ही सीमित है।
- इससे लोगों की बीमारियों का समय से इलाज सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- लोगों के स्वास्थ्य में होने वाले परिवर्तनों को लंबे समय तक ट्रैक किया जा सकेगा।
निष्कर्ष
- यह परियोजना पूरे जीनोम अनुक्रमण को निष्पादित करने में भारत की क्षमताओं को प्रदर्शित करेगी।
- जब से मानव जीनोम को (पहली बार 2003 में) अनुक्रमित किया गया है, इसने रोगों और प्रत्येक व्यक्ति के अद्वितीय आनुवंशिक बनावट के बीच संबंध पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
- लगभग 10,000 बीमारियाँ जैसे- सिस्टिक फाइब्रोसिस, थैलेसीमिया आदि को एकल जीन की खराबी का परिणाम माना जाता है, जबकि ये जीन कुछ दवाओं के प्रति असंवेदनशील हो सकते हैं।
- जीनोम अनुक्रमण से कैंसर जैसी बीमारी को भी आनुवांशिकी के दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।