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in Class 10 by kratos
  1. आरक्षण

2 सामाजिक सुरक्शा

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by kratos
 
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आरक्षण

1. भूमिका:

आरक्षण (Reservation) का अर्थ है सुरक्षित करना । हर स्थान पर अपनी जगह सुरक्षित करने या रखने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति को होती है, चाहे वह रेल के डिब्बे में यात्रा करने के लिए हो या किसी अस्पताल में अपनी चिकित्सा कराने के लिए विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ने की बात हो तो या किसी सरकारी विभाग में नौकरी पाने की । लोग अनेक तरह की दलीलें (Arguments) देकर अपनी जगह सुनिश्चित करवाने और सामान्य प्रतियोगिता (Common Competition) से अलग रहना चाहते हैं ।

2.**आरक्षण**के आधार:

आरक्षण पाने का कोई आधार होना आवश्यक है । रेल, बस आदि में सफर करना हो, तो आरक्षण के लिए किराये म्र छ द्व8 के अलावा कुछ अतिरिक्त राशि (Extra Amount) देना आवश्यक होता है, अन्यथा (Otherwise) आपको भीड़ में या पंक्ति (Queue) में रहना पड़ेगा ।

गारंटी नहीं कि आप यात्रा कर पायेंगे अथवा नहीं । यदि कहीं अस्पताल में आपको चिकित्सा करवानी हो या किसी डॉक्टर से इलाज कराना हो, तो अतिरिक्त राशि दीजिए नहीं तो आपको अच्छी सुविधा या अच्छी चिकित्सा नहीं मिल सकती ।

यदि आप चुनाव में जीतना चाहते हैं तो किसी बड़ी जनसंख्या (Population) वाली जाति या धर्म का होना जरूरी है अथवा किसी आरक्षित जाति का होना जरूरी है । किसी सरकारी विभाग में नौकरी कम अंकों पर (Lower Marks) मिल जाए, इसके लिए भी किसी खास जाति का होना आवश्यक होता है ।

इस प्रकार जाति, धर्म धन आदि आज हमारे समाज में सुविधाओं (Previleges) को सबसे पहले और सबसे अधिक पाने का आधार (Base) हैं । यहीं नहीं कुछ खास पदों (Posts) पर होना भी आरक्षण पाने के लिए जरूरी समझा गया है ।

3.**लाभ-हानि:**

आरक्षण वास्तव में समाज के उन्हीं लोगों के लिए हितकर (Beneficial) हो सकता है जो अपंग (Phisycally disabled) हैं किंतु शिक्षा और गुण (Quality) होते हुए भी अन्य लोगों से जीवन में पीछे रह जाते हैं । उन गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण आवश्यक है जो गुणी होते हुए भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं ।

केवल जाति, धर्म और धन के आधार पर आरक्षण से गुणी व्यक्तियों को पीछे धकेल (Push) कर हम देश को नुकसान ही पहुँचा रहे हैं । यह देश जाति-धर्म, धनी-गरीब आदि आधारों पर और अधिक विभाजित (Divided) होता जा रहा है ।

4. उपसंहार:

आज यदि हम देश को उन्नति (Progress) की ओर ले जाना चाहते हैं और देश की एकता बनाये रखना चाहते हैं, तो जरूरी है कि आरक्षणों को हटाकर हम सबको एक समान रूप से शिक्षा दें और अपनी उन्नति का अवसर (Opportunity) पाने का मौका दें ।

सामाजिक सुरक्षा

सामाजिक सुरक्षा का अर्थ

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार ‘‘वह सुरक्षा जो समाज, उचित संगठनों के माध्यम से अपने सदस्यों के साथ घटित होने वाली कुछ घटनाओं और जोखिमों से बचाव के लिए प्रस्तुत करता है, ‘सामाजिक सुरक्षा’ है। ये जोखिमें बीमारी, मातृत्व, आरोग्यता, वृद्धावस्था तथा मृत्यु है। इन संदिग्धताओं की यह विशेषता होती है कि व्यक्ति को अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए नियोक्ताओं द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाये।’’

सर विलियम बैवरिज के अनुसार,‘‘सामाजिक सुरक्षा योजना एक सामाजिक बीमा योजना है जो व्यक्ति को संकट के समय अथवा उस समय, जब उसकी कमार्इ कम हो जाय, तथा जन्म, मृत्यु या विवाह में होने वाले अतिरिक्त व्यय की पूर्ति के लिए लाभान्वित करती है।’’

समाजिक सुरक्षा के आवश्यक तत्व

सामाजिक सुरक्षा योजना के लिए निम्नलिखित तत्व आवश्यक है :

  1. योजना का उद्देश्य बीमारी की रोकथाम या इलाज करना होना चाहिए अथवा अनिच्छापूर्वक घटित हानि से सुरक्षा के लिए आय की गारण्टी देना जिससे श्रमिक पर निर्भर व्यक्ति लाभान्वित हो सके।
  2. यह प्रणाली एक निश्चित अधिनियम के अन्तर्गत लागू की जानी चाहिए जो व्यक्तिगत अधिकारों तथा उत्तरदायित्व के प्रति सरकार, अर्द्ध-सरकारी संस्थाओं, गैर-सरकारी संस्थाओं को सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं प्रदान करने के लिए बाध्य करे।
  3. यह प्रणाली सरकारी, अर्द्ध-सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रशासित की जानी चाहिए।
  4. सुरक्षा को भली-भांति नियमित करने की दृष्टि से उपलब्ध सुविधाओं के प्रति कर्मचारियों का विश्वास होना आवश्यक है कि आवश्यकतानुसार उन्हें सामाजिक सुरक्षा सेवाओं के अन्तर्गत किये गये प्रावधान उपलब्ध होंगे तथा उनकी किस्म और मात्रा पर्याप्त होगी।

सामाजिक सुरक्षा का महत्व

विकसित देशों में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को देश की गरीबी, बेरोजगारी तथा बीमारी का उन्मूलन करने की दृष्टि से राष्ट्रीय योजना का अभिन्न तथा महत्वपूर्ण अंग माना गया है। निम्नलिखित विचारों से सुरक्षा का महत्व अधिक स्पष्ट हो जाता है :

अ)‘‘सामाजिक सुरक्षा का दर्शन तथा मूल विचार सामुदायिक आयोजन, सामुदायिक उत्तरदायित्व तथा नागरिकों के कर्त्तव्यों और अधिकारों का सामुदायिक स्तर पर विचार करना है। गरीबी हटाना, अभाव पर विजय तथा व्यक्तियों के रहन-सहन का वांछित स्तर उपलब्ध करना इसके उद्देश्य है। इसका मूल उद्देश्य अधिकांश व्यक्तियों के लिए, यथा सम्भव सभी के लिए तथा प्रत्येक की प्रसन्नता के लिए ऐसा प्रबन्ध करना है, जिससे व्यक्तित्व का विकास हो।’’ -जे. एस. क्लार्क

ब)‘‘वर्तमान रोजगार, रोजगार तथा कार्य की उचित दशाएं प्राप्त करने और सेवानिवृत्ति के लिए सुरक्षा, आत्म-विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सहायता, बेरोजगारी तथा अयोग्यता की स्थिति में आय की निरन्तरता, दुर्घटना के समय व्यक्ति के परिवार की सुरक्षा, अयोग्यता, बीमारी या मृत्यु के समय परिवार की सुरक्षा’’ आदि सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत सम्मिलित किये जाते हैं। -सामाजिक सुरक्षा समिति, सं. रा. अमरीका

सामाजिक सुरक्षा के उद्देश्य

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक प्राणी होने के कारण उसको अनेक आवश्यकताओं का सामना करना पड़ता है। वह कभी दूसरों को आश्रय प्रदान करता है तो कभी स्वयं ही उसे दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है। आधुनिक यांत्रिक युग में वह अनेक प्रकार की दुर्घटनाओं का शिकार हो सकता है। इन दुर्घटनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाय। संक्षेप में, सामाजिक सुरक्षा के उद्देश्य के अन्तर्गत निम्न तीन तत्वों को सम्मिलित किया जाता है-

  1. क्षतिग्रस्त व्यक्ति को क्षतिपूर्ति करना,
  2. क्षतिग्रस्त व्यक्ति के पुनरुत्थान का प्रयास करना, और
  3. खतरों की रोकथाम के लिए आवश्यक व्यवस्था, करना आदि।
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