प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘युवाओं से’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक स्वामी विवेकानंद हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत वाक्य में स्वामी विवेकानंद जी ने नवयुवकों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि अज्ञानता से जागकर, देश को आगे बढ़ाने के लक्ष्यपथ पर तेजी से बढ़ना है।
स्पष्टीकरण : यह उद्घोष स्वामी जी के सभी उपदेशों में श्रेष्ठ माना जाता है। कार्य करने के लिए बुद्धि, विचार और हृदय की आवश्यकता है। साथ-साथ प्रेम से असंभव भी संभव हो जाता है। अतः उठो, जागो और अपने स्वरूप को पहचानो, आगे बढ़ो, सफल होने तक बढ़ो।