लेखक के मित्र ‘क’ ने जब हर्ष के साथ मिलने का झूठा बहाना किया तो लेखक को उसके व्यवहार पर शक हो गया। क्योंकि वह सच्चे मन से खुश नहीं था। इसलिए लेखक ने धृतराष्ट्र का उल्लेख किया कि उसने भीम को दिखावे की खुशी में अपने पास बुलाया, जब कि मन में सोचा कुछ और थी।