सबकी आँख बचाकर बिन्दा के घर पहुंचने पर महादेवी वर्मा ने वहाँ क्या देखा?
महादेवी वर्मा ने देखा कि बिन्दा अकेली एक खाट पर पड़ी थी। उसकी आँखे गड्ढे में धंस गयी थी। मुख दानों से भर कर न जाने कैसा हो गया था। मैली सी चादर के नीचे छिपा उसका शरीर बिछौने से अलग नहीं जान पड़ता था। अर्थात् बिन्दा बहुत ही दुर्बल हो चुकी थी।