प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका महादेवी वर्मा हैं।
संदर्भ : पंडिताइन चाची यह शब्द बिन्दा को सुनाते हुए कहती हैं। इन वाक्यों में कठोरता की धारा बहती है।
स्पष्टीकरण : जब सर्दी के दिनों में लेखिका को देरी से उठाया जाता, गरम पानी से हाथ-मुँह धुलाये जाते, जूते और ऊनी कपड़े पहनाये जाते, जबरदस्ती गरम दूध पिलाया जाता, तब पड़ोस के घर में पंडिताइन चाची की आवाज कठोर शब्दों में सुनाई देती – अभागी तू अभी उठी नहीं? …… जल्दी से जाकर दूध ला ….. अभागी मर भी नहीं जाती।