ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिएः
“आँखें गड्ढे में धंस गयी थी, मुख दानों से भर कर न जाने कैसा हो गया था।”
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं।संदर्भ : एक दिन बालिका महादेवी बिन्दा को देखने चुपके से उसके घर में दाखिल हो जाती है। तब बिन्दा का ऐसा रूप देखती है।स्पष्टीकरण : बहुत दिनों तक महादेवी ने जब बिन्दा को घर-आँगन में काम करते नहीं देखा तो एक दिन वह सबकी नजरें बचाकर बिन्दा के घर पहुंच गई। बिन्दा अकेली एक खाट पर पड़ी थी। उसकी आँखे गड्ढ़े में धंस गयी थीं। मुख दानों से भर कर न जाने कैसा हो गया था। बिन्दा बीमार हो गयी थी। उसको चेचक की बीमारी हो आयी थी। उसकी नयी अम्मा भी उसकी देखभाल नहीं करती थीं।