माता अपने सभी पुत्रों को समान भाव से चाहती है। पृथ्वी पर बसनेवाले सभी जन बराबर हैं। उनमें ऊँच-नीच का भाव नहीं है। इस पृथ्वी पर नगर और जनपद, पुर और गाँव, जंगल और पर्वत अनेक प्रकार के जनों से भरे हुए हैं। ये जन अनेक प्रकार की भाषाएँ एवं धर्मों को मानने वाले हैं, फिर भी ये मातृभूमि के पुत्र है।