विभिन्न समुदाय, संस्कृतियों के समन्वय के बारे में लेखक कहते हैं कि जिस प्रकार जंगल में अनेक लता, वृक्ष और वनस्पति बिना किसी भेदभाव, विरोध के वृद्धि करते हैं, ठीक उसी प्रकार राष्ट्रीय जन अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर राष्ट्र में रहते हैं। जिस प्रकार नदियों के प्रवाह समुद्र में मिलकर एक हो जाते हैं, उसी तरह राष्ट्रीय जीवन की अनेक परंपराएँ राष्ट्रीय संस्कृति में समन्वय प्राप्त करती हैं। उपलब्धियों को हथं संस्कृति के क्षेत्र मध्यता का निर्माण किया है।