परमानंद ने किसान से कहा – तुम बीमार हो या तुम्हारी गाय, मेरे लिए एक ही बात है। लाओ, नब्ज दिखाओं। किसान बोला – जी, नब्ज मैं दिखाऊँ? परमानंद – और कौन दिखाएगा? गाय तुम्हारी बीमार है या किसी और की? नब्ज देखते हुए कहा – गाय की हालत चिंताजनक है। उसे शीघ्र चारा खिलाओ, नहीं तो मरे बिना नहीं मानेगी। उसे उसी का दूध निकालकर पिलाओ। यह अमर भास्कर चूर्ण ले जाओ, गरम पानी के साथ खा लेना। “मैं खाऊँ या गाय को खिलाऊँ?” “तुम भी खा लो, गाय को भी खिला दो। दोनों को लाभ पहुंचेगा।’