रमेश अपने घर में बेहोश हो जाता है। उसके चिंतित पिता वैद्य परमानंद और प्रोफेसर पांडुरंग को बुला लाते है। परमानंद के अनुसार लड़के को सन्निपात है तथा प्रोफेसर पांडुरंग के अनुसार उसे स्नायुरोग है। यह सब सुनकर लड़का घबडा जाता है और चादर फेंककर उठते हुए कहता है कि वह पूरी तरह होश में है। न उसे भ्रम है और न उसे कुछ महसूस करने की जरूरत है। स्कूल में होने वाले नाटक जिसमें उसे दो घंटे बेहोशी का अभिनय करना है, वह उसीकी रिहर्सल कर रहा था।