प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रिहर्सल’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक ओमप्रकाश आदित्य हैं।
संदर्भ : प्रोफेसर, अध्यापक के घर अचानक वैद्य परमानंद को देखकर कहते हैं।
स्पष्टीकरण : वैद्य परमानन्द बारह वर्षीय अचेत लड़के का ईलाज कर रहे हैं। घरवाले सभी चिन्तित है। तभी लड़के की बहन प्रोफेसर पांडुरंग को भी बुला लाती है। प्रोफेसर पांडुरंग वहाँ वैद्य को देखकर कहते हैं – कौन? वैद्य परमानंद! यमराज का सगा भाई! वे इसलिए ऐसा कहते हैं कि परमानंद के द्वारा इलाज किया गया व्यक्ति जिन्दा नहीं बचता है। वे साक्षात यमराज हैं।