प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘रिहर्सल’ नामक पाठ से लिया गया है जिसके लेखक ओमप्रकाश आदित्य हैं।
संदर्भ : वैद्य परमानंद बीमार गाय की समस्या लेकर आए किसान से यह वाक्य कहते हैं।
स्पष्टीकरण : किसान वैद्य परमानंद जी से कहता है – वैद्य जी, मेरी गाय बीमार है। दस दिन से न चारा खाती है न दूध देती है। वैद्य जी किसान कि नब्ज देखने लगते है – गाय को शीघ्र चारा खिलाओं नहीं तो मरे बिना नहीं रह सकती। किसान कहता है उसे चारा नहीं खाने का ही . तो रोग है। तब वैद्य परमानंद कहते हैं – उसे उसी का दूध निकालकर पिलाओं।